दास्तान -ऐ – ज़िन्दगी

जिंदगी को कुछ इस क़दर मुख़्तलिफ़ करदिया…
थोड़ा इसे दिया थोड़ा उसे दिया थोड़ा खुदा के नाम करदिया…
थोड़ा जिहादो के डर से मुख मोड़ लिया…
थोड़ा दिल संभाला थोड़ा रुख मोड़ लिया…

 

हमने खुद ही को इज़तीरार करदिया…
राहों में वाक्यात करदिया…
डर डर कर जीवन का ऐसा हश्र करलिया…
रूह शांत न कर पाया कलेजा और घायल करलिया…
आज दर्द से उठकर कुछ करने का इरादा कर बैठा…
इक सहारा पाकर जिंदगी से फिर नोक झोंक कर बैठा…

 

bhavy

One thought on “दास्तान -ऐ – ज़िन्दगी

Leave a reply to Radhika Iyer Cancel reply